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नेपाली रुद्राक्ष

1 से 21 मुखी रुद्राक्ष लाभ, उपयोग, मंत्र और उनके देवता

rudraksha in silver pendant

रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ?

रुद्राक्ष के फायदे के बारे में तो बहुत लेख मिलते हैं लेकिन,इसकी उत्पत्ति के बारे में उल्लेख किया गया है कि इसका उद्भव शिव के अश्रु से हुआ है जिस कारण रुद्राक्ष का अर्थ रूद्र +अक्ष हुआ।

शिव पुराण में रुद्राक्ष का वर्णन

इस संबंध में शिवपुराण में एक कहानी का वर्णन किया गया है कि, एक बार शिव जी देवी पार्वती से वार्ता करते हुए कहते हैं कि मैंने अपनी तपस्या के माध्यम से अपने मन-मस्तिष्क को स्थिर करने का प्रयास किया लेकिन, मुझे कुछ समय के लिए भय सा लगा और, मेरे नेत्र खुले जिनसे आंसुओं की बूँद गिरने लगी।

मान्यता हैं की, शिव के अश्रुओं की बूँदें ही पृथ्वी पर एक वृक्ष के तौर पर निर्मित हो गई और, इन वृक्षों में जो फल पाया जाता है उसे ही रुद्राक्ष कहा जाता है।

रुद्राक्ष के पेड़ कहां पाए जाते हैं?

  • रुद्राक्ष पहाड़ी पेड़ का ख़ास तरह का फल हैं
  • रुद्राक्ष के पेड़ मुख्यतः इंडोनेशिया और नेपाल में पाए जाते है। 
  • जिसमें से नेपाल के पाली क्षेत्र के रुद्राक्ष सबसे अच्छे माने जाते है। 
  • इंडोनेशिया के दाने 4 से 15 मिमी व्यास के होते हैं
  • वहीँ, नेपाल के पाली क्षेत्र के ये रुद्राक्ष दाने 10 से 33 मिमी व्यास के होते है।

रुद्राक्ष का पेड़ भारत में कहाँ पाया जाता है?

  • वहीँ भारत में यह वृक्ष खासतौर पर मथुरा, अयोध्या, काशी और मलयाचल पर्वत में पाए जाते है।
  • इससे संबंधित और साक्ष्यों की बात करें तो इसका वर्णन शिवपुराण के अलावा स्कंदपुराण, बालोपनिषद, रूद्रपुराण, श्रीमदभागवत तथा देवी भागवत में मिलता है।

रुद्राक्ष कैसे बनता है?

  • रुद्राक्ष को प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले इसके फल का छिलका उतार दे
  • फिर रुद्राक्ष का बीज निकाले फल में से
  • इस के बीज को पानी में गाला कर साफ़ करे
  • और इस तरह रुद्राक्ष बनता है।

असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करे?

  • शुद्ध रुद्राक्ष के अंदर प्राकर्तिक रूप से छेद होते है।
  • असली रुद्राक्ष में संतरे की तरह फांके बने होते है। जिसके आधार पर ही रुद्राक्ष का वर्गीकरण किया जाता है।
  • सभी रुद्राक्ष की पहचान इनमे उपस्थित लाइन्स के आधार पर या अंदर x ray करने पर बीज दिखते है उनके आधार पर किया जाता है।
  • एक रुद्राक्ष में जितनी धारिया या लाइन्स होती हैं वह उतने मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
  • और, x-ray करने पर उसमें उतने ही बीज दिखाई पड़ते है।
  • रुद्राक्ष में कीड़ा न लगा हों
  • कही से टुटा फूटा न हों
  • रुद्राक्ष में अलग से दाने उभरे न हों
  • ऐसे रुद्राक्ष कभी भी धारण नहीं करने चाहिए
  • आप किसी लैब टेस्ट की बजाए, स्वये ही रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं
  • रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से खुरेदे अगर रेशा निकले तो रुद्राक्ष असली होंगे नहीं तो नकली होगा
  • इसके आलवा शुद्ध सरसो के तेल में रुद्राक्ष को डाल कर 10 मिनट तक गर्म किया जाए तो असली रुद्राक्ष होने पर उसकी चमक बढ़ जाएगी तथा नकली होने पर फ़ीकी हों जायगी

शिव रुद्राक्ष माला का जप कैसे करे?

निम्नलिखित शिव रुद्राक्ष माला का हिन्दू परंपरा में अत्यधिक महत्व है जिसके माध्यम से भक्तजन ईश्वर के निकट रहने का प्रयास करते है। भगवान शिव को रुद्राक्ष माला सबसे अधिक प्रिय है और ऐसी मान्यता है कि जो भी जातक शिव माला 108 बार जाप मंत्र का उच्चारण कर धारण करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसके जीवन में भगवान शिव एक साये की तरह सदैव साथ रहते है।  

शिव जी की माला को पहनने का भी एक तरीका है जिसके अनुसार ही इसका प्रयोग किया जाए तो इसके लाभ अनगिनत है। नीचे उन्हीं तरीकों का वर्णन किया गया है |

रुद्राक्ष माला सिद्ध करने का मंत्र

” ईशानः सर्वभूतानां “

रुद्राक्ष सिद्ध करने की विधि

यदि जाप माला सिद्ध करनी हो तो पंचामृत में डुबोएं, फिर साफ पानी से उसे अच्छी तरह धो लें। ध्यान रहे कि हर मणि पर ईशानः सर्वभूतानां मंत्र 10 बार बोलें। यह शिव माला नियम के अनुसार ही किसी भी रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए। 

मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए ‘ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम्’ मंत्र का जाप करें और अगर एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचामृत से स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार विधान से पूजा-अर्चना करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें। ध्यान रहे कि उस पर प्रतिदिन या महीने में एक बार इत्र की दो बूंदें अवश्य डालें। इस तरह से किसी रुद्राक्ष की जाप माला या किसी एक रुद्राक्ष को सिद्ध किया जा सकता है।

रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं?

  • दरअसल, रुद्राक्ष कूल मिला कर 21 प्रकार के होते है। जिनमे से मुख्यता 14 प्रकार के रुद्राक्ष को उपयोग में लाया जाता है।
  • रुद्राक्ष के कई प्रकार के मुख हैं और इन मुखों में अलग-अलग नक्षत्रों, देवताओं तथा ऋषियों का वास होता है और इनकी विशेषता के ही अनुसार इन रुद्राक्ष से बनी वस्तु जैसे माला आदि का प्रयोग किया जाता है। आज हम इन्हीं विशेषताओं का विस्तार से वर्णन करेंगे ताकि पाठकों को रुद्राक्ष के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सके।

वैसे तो नक्षत्रों के हिसाब से रुद्राक्ष 16 और 21 मुखी भी पाए गए हैं लेकिन, 14 मुखी तक का रुद्राक्ष बड़ी ही कठिनाइयों से पाया जाता है।

1 से 21 मुखी रुद्राक्ष के लाभ

एक मुखी रुद्राक्ष का महत्व

एकमुखी रुद्राक्ष का संबंध सीधे भगवान शिव से है। एक मुखी सभी रुद्राक्षों में सबसे अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें भगवान शिव की परम शक्ति समाहित है।

धारण मंत्रॐ ह्रीं नम:’

1 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • एकमुखी रुद्राक्ष का संबंध शिव से है जिसे, धारण करने ब्रह्महत्या जैसे दोष तक समाप्त हो जाते है।
  • इससे व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है और उस घर से सभी तरह के उपद्रव नष्ट हो जाते हैं।
  • वहां लक्ष्मी सदैव के लिए निवास करती है।
  • रूद्र सहिंता में इसका वर्णन कुछ इस प्रकार दिया गया है कि जिस घर में एक मुखी rउद्राक्ष का वास होता है उस घर में दरिद्रता, आर्थिक संकट का वास नहीं होता है।

एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें?

  • इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि यह आधे काजू के आकार में दिखाई देता है और इसमें एक ही धारी होती है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को गर्म पानी में उबालें अगर वह रंग छोड़ने लगे तो वह असली नहीं है।
  • सरसों के तेल में डुबोकर रखने से भी इसकी असली पहचान की जा सकती है यदि रुद्राक्ष का रंग गहरा दिखाई दे।

 दो मुखी रुद्राक्ष का महत्व

  • 2 मुखी रुद्राक्ष का सम्बन्ध चन्द्रमा से हैं।
  • और, जैसा की आपको पता होंगा की “चंद्रमा मनसो जात:” यानी चंद्रमा मन का कारक हैं।
  • इसलिए 2 मुखी रुद्राक्ष का सीधा सम्भंध मन से हैं।
  • और, अर्द्धनारीश्वर से भी हैं। तथा, इसे देवेशवर भी कहाँ जाता हैं।
  • माता पार्वती और शिव का एकत्र रूप हैं अर्द्धनारीश्वर
  • २ मुखी रुद्राक्ष धारण करने का शुभ दिन – सोमवार!
  • क्युकी, सोमवार से चन्द्रमा का सम्बन्ध हैं।

धारण मंत्र‘ॐ नम:’

2 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या फायदा होता है?

  • इसके फायदों की बात करें तो द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करने से जन्मों के संचित पाप खत्म हो जाते हैं।
  • जो भी व्यक्ति इस प्रकार के रुद्राक्ष  को पहनता है वह ग्यारह वर्षों में भगवान शिव के बराबर समता प्राप्त कर लेता है।
  • जो व्यक्ति पांच वर्षों तक इसे धारण कर स्तोत्र का पाठ करता है उसकी कोई कामना बचती नहीं है सब पूर्ण हो जाती है।
  • नारद पुराण के अनुसार जो भी द्विमुखी रुद्राक्ष को धारण करता है वह अक्षत यौनदृढ़ता को प्राप्त करता है।
  • यह रचनात्मकता और सफलता के लिए बहुत लाभकारी है।
  • 2 मुखी रुद्राक्ष को पहनने से 108 गाय दान का पुण्य मिलता है।
  • महा शिव पुराण के अनुसार, इसे धारण करने से हर परेशानी दूर हों जाती है।
  • यह रुद्राक्ष सुखी पारिवारिक जीवन के लिए भी लाभकारी है।
  • 2 मुखी रुद्राक्ष का सीधा सम्भंध मानसिक स्थिति से है। इसलिए एक बेहतर सोच-विचार के लिए बहुत उपयोगी है। 
इसके फायदों को यदि एक श्लोक में समेटा जाए तो ये कुछ इस प्रकार है

द्विवस्त्रों देव देवेशो गोबधं नाश्येदध्रुवं

 त्रिमुखी रुद्राक्ष का महत्व

 तीन मुख वाले रुद्राक्ष का संबंध अग्नि से है। यह त्रि-शक्तियों ब्रह्मा-विष्णु-महेश से संबंधित है जिस कारण इसकी व्याख्या संस्कृत में कुछ इस प्रकार की गई है : 

त्रिवक्योग्निस्य विज्ञेयःस्त्री हत्या च व्यपोहति

धारण मंत्र- ‘ॐ क्लीं नम:’

3 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • तीन शक्तियों का सम्मिश्रण होने के कारण यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला माना जाता है।
  • इसे केवल धारण करने से व्यक्ति कई प्रकार की विधाओं और कलाओं में निपुण हो जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति त्रिशक्ति रुपी प्राण- प्रतिष्ठित रुद्राक्ष धारण करता है उसकी सभी मनोकमनाएं पूरी होती है।
  • इससे पिछले जन्म और इस जन्म के पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • इसके अलावा नकारात्मक विचार, अपराध बोध, हीनभावना कम होती है।
  • इससे रक्तचाप की समस्या, कमजोरी और पेट से संबंधित बीमारी का भी उपचार होता है। 

चतुर्मुखी रुद्राक्ष का महत्व

चार मुखी रुद्राक्ष का संबंध ब्रह्मा जी से माना जाता है। इस संसार के सभी पदार्थों के जड़-चेतन स्वामी ब्रह्मा जी को ही बताया गया है। 

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं नम:’

4 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • इसे धारण करने वाला व्यक्ति ब्रह्मा जी की भांति निर्माण कार्यों में लीन हो जाता है और उसी दिशा में कार्य करना आरम्भ कर देता है।
  • चार मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को चार फलों धन, काम, धर्म और मोक्ष प्रदान करता है।
  • इस प्रकार के रुद्राक्ष का प्रयोग किये जाने से प्रेत बाधा, नक्षत्र बाधा, तनाव और मानसिक समस्याएं दूर हो सकती हैं।
  • स्वास्थ्य के लाभों के सन्दर्भ में इसे देखें तो इससे पीत ज्वर, श्वांस रोग, गर्भस्थ शिशु दोष, बांझपन और नपुसंकता जैसी बीमारियां दूर हो जाती है।
  • चार मुखी रुद्राक्ष से व्यक्ति को मेधावी आँखें प्राप्त होती है और वह तेजस्वी बनता है।
  • इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मानसिक संतुलन स्थिर रहता है।

4 मुखी रुद्राक्ष की पहचान क्या है?

  • रुदाक्ष की धारियों के अनुसार पहचान होती हैं जैसे, एक रुद्राक्ष मे जितनी धारिया पड़ी होती हैं वह उतने मुखी रुद्रक्षा कहलाता है।
  • इसलिए 4 मुखी रुदाक्ष की पहचान उसमें पड़ी 4 धारिया से होती है।
  • इंडोनेशिया और नेपाल में मुख्यतः 4 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते है।
  • इंडोनेशिया के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 4 से 15 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।
  • नेपाल के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 10 से 33 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।

 पंचमुखी रुद्राक्ष का महत्व

5 मुखी रुद्राक्ष  का संबंध भगवान शिव के सबसे कल्याणकारी स्वरुप महादेव से है जो वृष पर विराजमान है और जिनके पांच मुख है पांच मुखों में से चार मुख सौम्य प्रवृति के हैं जबकि दक्षिण की ओर किया हुआ मुख भयंकर रूप धारण किये हुए है।

महादेव के पांच कार्य हैं- सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव, अनुग्रह। यह सभी कार्य करने के लिए भगवान शिव के पांच मुख है और इन्हीं पांच मुखों से ॐ नमः शिवाय मंत्र का उद्भव हुआ है।

बताते चलें कि यही मंत्र पंचमुखी रुद्राक्ष का प्राण मंत्र माना जाता है। 

धारण मंत्रॐ ह्रीं क्लीं नम:

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि नामक रूद्र है,यह भौतिक और दैहिक रोग को समाप्त करने में सहायक है।
  • यह सभी बुरे कर्मों को नष्ट कर देता है।
  • यह मधुमेह के रोगियों, स्तनशिथिलता, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी जैसी बिमारियों से बचाव करने में सहायता करता है।
  • अगर इस तरह की पूरी माला धारण करना संभव न हो तो केवल पांच पंचमुखी रुद्राक्ष को गूंथ कर धारण कर लेना चाहिए
  • गुरु के प्रतिकूल प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।

5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम (5 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि)

1. 5 मुखी रुद्राक्ष को सोने या चांदी में मढ़वाकर या बगैर मढ़वाये भी पहन सकते है।  

2. सर्वप्रथम इसे गंगाजल या दूध से शुद्ध करना चाहिए।   

3. उसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के आगे धूप और दीपक जलाकर उपासना करें।  

4. उपासना के पश्चात इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

  ‘ॐ ह्रीं नम:’

5. इसे धारण करने के लिए श्रावण माह या सोमवार का दिन अधिक शुभ है।  

6 . ध्यान रखने वाली यह है कि इसे पहनकर शमशान में या किसी शव यात्रा में नहीं जाना चाहिए।  

5 मुखी रुद्राक्ष की पहचान

  • रुद्राक्ष को पहचानने के दो तरीके हैं जिसमें से पहला तरीका तो, यह कि रुद्राक्ष को पानी में थोड़े समय के लिए उबाले यदि वह रंग न छोड़े तो वह असली है।
  • दूसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में रख दें और यदि रुद्राक्ष का रंग उसके रंग से थोड़ा गहरा दिखे तो भी यह उसके असली होने की एक निशानी है।

षट्मुखी रुद्राक्ष का महत्व

छः मुख वाले रुद्राक्ष का संबंध कार्तिकेय से है, इस प्रकार के रुद्राक्ष को धारण करने से भ्रूण हत्या जैसे पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है। कार्तिकेय के बारे में रूद्र सहिंता में वर्णन है कि इनका पालन पोषण 6 स्त्रियों द्वारा किया गया है जिस कारण उन्हें 6 मुख धारण करने पड़े थे ताकि वे सभी को वात्सलयता प्रदान कर सकें।

धारण मंत्र-’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • भगवान कार्तिकेय 6 विधाओं पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण, उर्धव और पाताल के धनी है जिस कारण जो भी इसे धारण करता है वो इन 6 प्रतिभा का स्वतः ही धनी बन जाता है।
  • इस का संबंध शुक्र ग्रह से है जो भोग विलास के मालिक हैं अतः जिस भी व्यक्ति का जन्मनक्षत्र शुक्र हो उन्हें यह धारण करना चाहिए।
  • नेत्र से संबंधित रोग जैसे मोतियाबिंद, दृष्टि दोष, रतौंधी आदि से निजात मिल सकती है।
  • इस प्रकार की रुद्राक्ष माला को बच्चों को पहनाने से उनकी नेत्र ज्योति हमेशा बनी रहेगी।
  •  इससे बुद्धि का विकास और अभिव्यक्ति में कुशलता आती है।
  • इसे धारण किये जाने से व्यक्ति में इच्छाएं व आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती हैं।
  • व्यक्ति को शौर्य और प्रेम हासिल होता है।
  • मुख, गले और मूत्र रोग से छुटकारा पाने में लाभकारी है।  

सप्तमुखी रुद्राक्ष का महत्व

सात मुखों वाली रुद्राक्ष माला के बारे में कहा जाता है कि यह अनंत है इसलिए इसे महासेन अन्तादि गणों के नाम से भी जाना जाता है।

धारण मंत्र-’ॐ हुं नम:’

7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • सप्तमुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं यदि शनि के प्रतिकूल प्रभाव से कोई व्यक्ति पीड़ित है तो इसके प्रयोग से समस्या से निजात पाया जा सकता है।
  • सेवा, नौकरी और व्यापार करने वालों के यह लाफ़ी लाभदायक है।
  • यह शारीरिक दुर्बलता, अंगहीनता, विकलांगता, लकवा, मिर्गी आदि रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
  • इससे व्यक्ति के जीवन में प्रगति, कीर्ति और धन की वर्षा होती है।
  • इसे धारण करने वालो को गुप्त धन की प्राप्ति होती है।  

अष्टमुखी रुद्राक्ष का महत्व

अष्टमुखी रुद्राक्ष का सीधा सम्बन्ध सिद्धिविनायक भगवान गणेश से है और, संसार के सभी जघन्य पापों को माफ़ कर देने वाले विनायक अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते है। 

धारण मंत्र-’ॐ हुं नम:’

8 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • अष्टमुखी रुद्राक्ष छायाग्रह से सम्बन्ध रखता है अर्थात इसके प्रयोग से राहु दोष से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। साथ ही भगवान गणेश की कृपा बानी रहती है।
  • इस रुद्राक्ष को पहनने वाला व्यक्ति तेजस्वी, बलशाली, बुद्धिमान व्यक्तित्व वाला बनता है।
  • इसके प्रयोग से फेफड़े का रोग, चर्म रोग, सर्पदंश भय से मुक्ति मिलती है।
  • यह रुद्राक्ष सौंदर्य वृद्धि करता है यह दोनों ही रूपों बाहरी और आंतरिक सुंदरता बढ़ाने में सहायक है।
  • यह बुद्धि विकास और गणना शक्ति प्रदान करता है।
  • कला में निपुणता और प्रतिनिधित्व कौशल में वृद्धि होगी।
  • इससे नाड़ी संबंधित रोग से छुटकारा मिलता है। 

नौमुखी रुद्राक्ष का महत्व

नौ मुख वाले इस रुद्राक्ष का सम्बन्ध भैरव से है, इसकी अधिष्ठात्री देवी अम्बे है और अष्टमुखी का यह स्वरुप कपिल है। नौ देवियों के रूप वाला यह रुद्राक्ष नवदुर्गा के सभी नौ रूपों की शक्तियों को समाहित किये हुए है।

धारण मंत्र’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

9 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • यह रुद्राक्ष के प्रयोग से वैवाहिक बाधा, संतानोत्पत्ति में बाधा, व्यापार में किसी तरह की अड़चन समाप्त हो जाती है।
  • इससे राहु पीड़ित दोष, नेत्र रोग, फोड़े-फुंसी आदि से छुटकारा मिल सकता है।
  • किसी बच्चे के गले में 9 मुखी रुद्राक्ष माला को पहनाने से बच्चे के निकट श्वांस और नेत्र सम्बन्धी बीमारियां नहीं आती है।

दसमुखी रुद्राक्ष का महत्व

दसमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु यानी जनार्दन का प्रतिनिधित्व करता है जो पूरे ब्रह्माण्ड के संचालक है। 

10 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • दसमुखी रुद्राक्ष माला को धारण करने वाला व्यक्ति और उसका परिवार सदैव भगवान विष्णु की छत्रछाया में रहता है और विष्णु जी एक सरंक्षक के तौर पर उनकी रक्षा करते हैं।
  • इस रुद्राक्ष पर यमराज की भी कृपा दृष्टि बनी हुई है, इसके प्रयोग से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो सकता है।
  • प्रसव काल (प्रसव का अर्थ होता है जनन या बच्चे को जन्म देना से ठीक पहले) यदि इस दसमुखी रुद्राक्ष माला को स्त्री की कमर में बाँध दिया जाए तो इससे प्रसव क्रिया कम कष्ट पूरी होती है।
  • मिर्गी, हकलाना, सूखा रोग जैसी बिमारियों से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है।
  • दस मुखी रुद्राक्ष काला जादू, भूत-प्रेत और अकेलेपन आदि के भय से छुटकारा दिलाता है।  
  • तनाव और अनिद्रा की शिकायत रखने वालों के लिए यह लाभकारी है।   
  • नवग्रह की शान्ति और वास्तु दोषों को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाता है। 
  • किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से निपटने के लिए और व्यापार में हो रही समस्याओं से निजात दिलाता है।  
  • सम्मान शांन्ति और सौंदर्य मिलता है।
  • कान और हृदय की बीमारियों में राहत मिलती हैं
  • विवाह में परेशानी और बृहस्पति ग्रह से सम्बन्ध रखने वालों को दसमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

10 मुखी रुद्राक्ष की पहचान क्या है?

  • 10 धारियों वाला रुद्राक्ष 10 मुखी रुद्राक्ष कहलाता हैं। रुद्राक्ष के पेड़ मुख्यता इण्डोनेशिआ और नेपाल में होते हैं।
  • इंडोनेशिया के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 4 से 15 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।
  • नेपाल के 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 10 से 33 मिलीमीटर व्यास वाले होते हैं।

10 मुखी रुद्राक्ष धारण की विधि

  • पहले 10 मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल में स्नान करवाए
  • इसके बाद 10 मुखी रुद्राक्ष को चन्दन लगाए, धूप दिखाए और सफ़ेद फूल चढ़ाए
  • इसके बाद 10 मुखी रुद्राक्ष को शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग से स्पर्श करवाए
  • और धारण मंत्र-’ॐ नम:शिवाय’ का 11 बार जाप करे

एकादशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के बारे में स्कंदपुराण में भगवान शिव ने वर्णन करते हुए कहा कि इसका संबंध भगवान के रूद्र स्वरुप से है। जो भी जातक इसे धारण करते हैं उसे हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने, सौ बाजपेय यज्ञ करने और चंद्रग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इसमें भगवान शिव के सर्वश्रेष्ठ 11 अवतारों की शक्तियां समाहित हैं।

धारण मंत्र’ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’

11 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • एकादशमुखी rudraksha धारण करने से भाग्योदय होता है। धन वृद्धि होती है साथ ही व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है।
  • यह रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ श्रेणी का है, मान्यता है कि इस प्रकार का रुद्राक्ष बहुत भाग्यवान लोगों को ही प्राप्त होता है।
  • इसे प्रयोग में लाने वाला व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सकता है।
  • ग्यारह मुखी रुद्राक्ष कई गंभीर और लाइलाज बिमारियों जैसे कैंसर, पित्ताश्मरी, अपस्मार आदि रोगों का शमन करता है।

द्वादशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

बारह मुख वाले रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान सूर्य से है। ऋग्वेद में सूर्य देवता के बारे में कहा गया है कि वे सभी नक्षत्रों, ग्रहों और राशिमंडल के राजा है जिनके होने से ही इस संसार में रोशनी विद्यमान है। सूर्य देवता की उपासना से बड़े से बड़े रोगों से निजात पाई जा सकती है जिसका प्रमाण सूर्य पुराण में उल्लेखित है।

धारण मंत्र-’ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:’

12 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • द्वादशमुखी रुद्राक्ष का प्रभाव बिल्कुल एक मुखी रुद्राक्ष के सामान है, एकमुखी रुद्राक्ष न होने पर 12 मुख वाले रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
  • जो भी बारहमुखी रुद्राक्ष माला को धारण करते हैं या कंठ में धारण करते है वे जो हत्या, नरहत्या, अमूल्य रत्नों की चोरी आदि पापों से मुक्त हो जाते हैं।
  • ह्रदय, त्वचा और आँखों से जुड़े रोगों, दाद, कुष्ठादि, स्फोट, रतौंधी, रक्त विकार संबंधी बिमारियों से छुटकारा मिलता है।
  • उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को यह जरुर धारण करना चाहिए।
  • इसे धारण करने से व्यक्ति हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।
  • व्यक्ति निर्भीक बनता है और उसका आत्मतत्व बहुत मजबूत स्थिति में आ जाता है।
  • इससे जातक का आर्थिक पक्ष मजबूत होता है और वह दरिद्रता आदि से दूर रहता है

त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

तेरह मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व मां लक्ष्मी करती हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। 

धारण मंत्र-’ॐ ह्रीं नम:’

13 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • यह रुद्राक्ष साधना, सिद्धि और भौतिक उन्नति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • आयुर्वेद शास्त्रकारों ने त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष को संजीवनी की संज्ञा है जिससे इसके औषधीय महत्व को समझा जा सकता है। यह कैंसर, रक्तचाप, लिंगदोष, योनिदोष आदि से बचाव करता है।
  • इसे धारण करने वाले व्यक्ति सभी प्रकार की महामारियों से बचे रहते है।

चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व भगवान हनुमान करते है। इसे धारण करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव ने अपनी लीलाओं को संपन्न करने के लिए हनुमान रुपी अवतार लिया था। संकट मोचक बन हनुमान अपने भक्तों का आज तक उद्धार कर रहे हैं। 

धारण मंत्र-’ॐ नम:’

14 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

  • हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति सभी संकटों का निर्भीक होकर सामना करते है।
  • मनुष्य के जीवन में मौजूद सभी आपदाएं तकरीबन नष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति दिग्विजय रूप धारण कर लेता है।
  • इससे ह्रदय रोग, नेत्र रोग, अल्सर, मधुमेह और कैंसर आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।

पंचदशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

यह रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरुप माना गया है। भगवान पशुपतिनाथ आर्थिक मनोकामनाओं को पूरा करते है। यह अत्यंत दुर्लभ श्रेणी में आता है।

धारण मंत्र-‘ॐ श्रीं मनोवांछितं ह्रीं ॐ नमः’

षोडशमुखी रुद्राक्ष का महत्व

सोलह मुखों वाला यह रुद्राक्ष महाकाल स्वरुप से संबंधित है। इसे धारण करने वाले काल भय से मुक्त रहते है। मान्यता तो यह भी है कि इसे धारण करने से सर्द मौसम में भी ठण्ड का एहसास नहीं होता है।

धारण मंत्र-‘ॐ हौं जूं सः’

सप्तदशी रुद्राक्ष का महत्व

सत्रह मुखों वाले इस रुद्राक्ष में मां कात्यायनी का वास होता है। इसे प्रकार के रुद्राक्ष को धारण करने से साधक इस लोक में रहकर अलौकिक शक्तियों को पा सकता है।

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं हूं हूं नमः’

अष्टदशीमुखी रुद्राक्ष का महत्व

17 मुखों वाले रुद्राक्ष का संबंध पृथ्वी से है जिस कारण इसे धारण करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ तथा बुद्धिमान होता है। शिशु के रोगों से निवारण के लिए इस प्रकार के रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।

धारण मंत्र‘ॐ ह्रीं हूं एकत्व रूपे हूं ह्रीं ॐ’

उन्नीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व

उन्नीस मुखों वाले रुद्राक्ष को क्षीर सागर में शयन कर रहे नारायण देवता का है। यह व्यापर में उन्नति और भौतिक सुखों के लिए उपयोग में लाया जाता है।

धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं हूं नमः’

बीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व

यह 20 मुखों वाला रुद्राक्ष भी दुर्लभ श्रेणी में आने वाले रुद्राक्षों में शामिल है। इसके अंतर्गत नवग्रह- सूर्य, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु समेत दिक्पालों तथा त्रिदेव की शक्तियां समाहित होती है।

धारण मंत्रॐ ह्रीं ह्रीं हूं हूं ब्रह्मणे नमः’

इक्कीसमुखी रुद्राक्ष का महत्व

21मुखों वाला रुद्राक्ष कुबेर का प्रतिनिधित्व करता है और कुबेर की शक्तियां निहित होने के कारण जो भी इसे धारण करता है वह संसार की सभी सुख-समृद्धि और भोग-विलास का आनंद प्राप्त करता है।

धारण मंत्र’ॐ ह्रीं हूं शिव मित्राय नमः’

कौन सा रुद्राक्ष किस देवता के लिए है?

जानिये किस राशि के अनुसार रुद्राक्ष कौन सा मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है?

मेष :  मेष राशि वालों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

वृष : वृष राशि वालों के लिए छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा रहता है। 

मिथुन : मिथुन राशि वालों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है। 

कर्क : कर्क राशि वालों को दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

सिंह : सिंह राशि के जातकों को 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

कन्या : कन्या राशि वालों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

तुला : तुला राशि वालों के आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा माना जाता है।  

वृश्चिक : वृश्चिक राशि वालों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।। 

धनु : धनु राशि वालों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष सही रहता है। 

मकर : मकर राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

कुम्भ : कुम्भ राशि वालों के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष अच्छा होता है। 

मीन : मीन राशि वालों को दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।  

रुद्राक्ष केवल फल मात्र नहीं

शिवपुराण में उल्लेखित ये 21 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अश्रु से बने है लेकिन इनकी विशेषताओं को गहराई से जानें तो मालूम पड़ता है कि यह केवल वृक्ष पर पाया जाने वाला फल मात्र नहीं बल्कि जीवन में मौजूद हर उस संकट का हल है जिसे खोज पाना थोड़ा कठिन तो है पर मुश्किल हरगिज़ नहीं।

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